Uzair Khan: कभी इलेक्ट्रीशियन का काम करता था उजैर, फिर हो गया लापता… और बन गया ‘भस्मासुर’, पढ़ें आतंकी की पूरी कहानी

हाइलाइट्स

उजैर खान पुलिस रडार पर 50 से कम स्थानीय आतंकवादियों में से एक था.
उजैर को पुलिस रिकॉर्ड में ‘बी’ कैटेगरी में रखा गया था.
उसके एक केंद्रीय व्यक्ति के रूप में उभरने की संभावना नहीं थी.

नई दिल्ली: कुख्यात आतंकी और लश्कर कमांडर उजैर खान (Uzair khan) अनंतनाग मुठभेड़ (Anantnag Encounter) में ढेर हो गया. साथ ही एनकाउंटर में उसके अन्य साथी भी मारे गए. इस एनकाउंटर के बाद अनंतनाग ऑपरेशन खत्म हो गया. परिवार में गुमसुम रहने वाला उजैर कब लश्कर का खौफनाक कमांडर बन गया यह किसी को पता तक नहीं चला. हालांकि घाटी में जम्मू और कश्मीर पुलिस प्रत्येक स्थानीय आतंकवादी का प्रोफाइल रखती है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार यहां स्थानीय आतंकवादियों की उम्र, शैक्षिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि, वैचारिक झुकाव और सैन्य विशेषज्ञता की प्रोफाइलिंग की जाती है. अंडरग्राउंड आतंकवादियों की प्रोफाइलिंग करते समय, पुलिस उन्हें A, A+, A++, और B के रूप में वर्गीकृत करती है. इसे तय करते समय कई पहलुओं का ध्यान रखा जाता है. जैसे आतंकवादी कितना घातक है, उसने कितने हमले या हत्याएं की हैं, उसकी सैन्य समझ, आतंकवादी संगठन में उसकी स्थिति, या एक केंद्रीय व्यक्ति के रूप में उभरने की क्षमता.

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पुलिस ने कर रखी थी आतंकियों के ‘बी’ कैटेगरी में प्रोफाइलिंग
एक साल से अधिक समय तक उजैर पुलिस रडार पर 50 से कम स्थानीय आतंकवादियों में से एक था. उजैर को पुलिस रिकॉर्ड में ‘बी’ कैटेगरी में रखा गया था. जिसे अपेक्षाकृत कम घातक माना जाता है और उसके एक केंद्रीय व्यक्ति के रूप में उभरने की संभावना नहीं थी. लेकिन तीन शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों, सेना की 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट्ट दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में गडोले के घने जंगलों के अंदर गोलीबारी में मारे जाने के एक दिन बाद, वह सुर्खियों में आ गया. पुलिस का मानना है कि उजैर ही इन हत्याओं के पीछे था.

मई में ही मारा जाता उजैर
दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग के नागम गांव के 28 वर्षीय इलेक्ट्रीशियन ने पिछले साल जुलाई में घर छोड़ दिया था. कुछ दिनों बाद पुलिस को पता चला कि वह दक्षिण कश्मीर में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकवादियों के समूह में शामिल हो गया है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा ‘उसे कभी भी बड़े खतरे के रूप में नहीं देखा गया.’ इस साल मई में, पुलिस उजैर को मारने के करीब थी जब उन्होंने उसे कोकेरनाग के सगाम के घने जंगल इलाके में घेर लिया. हालांकि, थोड़ी देर की गोलीबारी के बाद वह भागने में सफल रहा.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि इसके बाद उसने अपना ठिकाना स्थायी रूप से कोकेरनाग के घने जंगलों में स्थानांतरित कर दिया, जिससे क्षेत्र और उसके इलाके के बारे में उसकी जानकारी से विदेशी आतंकवादियों के एक समूह को मदद मिली. पुलिस अधिकारी ने कहा ‘हमें जानकारी मिली थी कि वह विदेशी आतंकवादियों के गाइड के रूप में काम करने के लिए उनके एक समूह में शामिल हो गया था.’ अधिकारी ने आगे कहा कि ‘इस पूरे समय हमारा ध्यान बासित डार जैसे ‘बड़े’ आतंकवादियों पर था.’

एक दिन घर से हो गया लापता
ग्रामीणों के अनुसार, उजैर के माता-पिता तब अलग हो गए जब वह बहुत छोटा था. अपनी मां की मौत के बाद, वह अपने पिता और सौतेली मां के साथ रहा. लेकिन अंततः उनके संबंधों में खटास आ गई. उजैर और उसके छोटे भाई को उसके नाना ने आश्रय दिया, जब तक कि वह साल 2022 की गर्मियों में एक दिन लापता नहीं हो गया.

गडोले गोलीबारी में तीन वरिष्ठ अधिकारियों के मारे जाने के एक दिन बाद गुरुवार को कश्मीर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) विजय कुमार ने कहा कि उजैर और एक-दो अन्य आतंकवादी जिम्मेदार थे. रविवार को, पुलिस ने गडोले जंगलों से एक जला हुआ शव बरामद किया, जिसके बारे में उन्हें संदेह था कि वह एक आतंकवादी था. इसके बाद पुलिस ने शव और उजैर के परिवार की डीएनए प्रोफाइलिंग का फैसला किया. हालांकि, मंगलवार को ADGP कुमार ने पुष्टि की कि मुठभेड़ में मारा गया आतंकवादी उजैर ही था.

Tags: Anantnag News, Jammu kashmir, Lashkar-e-taiba

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