Success Story: पिता को खोने वाली युवती को विदेशी बैंक में मिली नौकरी, ट्यूशन और प्राइवेट नौकरी के बाद पूरा हुआ सपना

शाहजहांपुर. Success Story: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पिता की कोविड-19 से मौत के बाद टूट चुकी मां-बाप की इकलौती संतान शाम्भवी वैश्य के सामने अपना और अपनी मां का भरण-पोषण और स्वयं के अपने पैरों पर खड़े होने की चुनौती थी. लेकिन अब वही शाम्भवी लोगों के लिए एक मिसाल बन गई है. उसे एक विदेशी बैंक में नौकरी मिल गई है. कोविड-19 से पिता की मौत के बाद शहर के ही कोतवाली क्षेत्र में रहने वाली शाम्भवी वैश्य (25) और उनकी मां अकेली थीं.

पिता के निधन ने उन्हें गरीबी में धकेल दिया. शाम्भवी को स्कूली बच्चों को पढ़ाने, कॉलेज जाने और घर के कामों में अपनी मां की मदद करने के लिए मजबूर होना पड़ा. आखिरकार कड़ी मेहनत रंग लाई जब शाम्भवी वैश्य को दिल्ली से सटे नोएडा में एक विदेशी बैंक की शाखा में नौकरी मिल गई.

ट्यूशन पढ़ा कर चला रहे थे घर खर्च
शाम्भवी ने मीडिया को बताया, ‘‘पांच अगस्त 2020 में पिता संजीव कुमार वैश्य जो न्यायालय में एक वकील के मुंशी थे, की मौत के बाद मेरी मां और बाद में मुझे कोविड हो गया. मेरे सामने पिता के अंतिम संस्कार का दृश्य जो मैंने अपनी आंखों से देखा था, बराबर घूमता रहता था. पापा की आय इतनी ज्यादा नहीं थी, बस घर का खर्च ही चल पाता था. ऐसे में हमारे सामने घर चलाने की जिम्मेदारी आ गई तो मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी तथा ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया.’’

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देर रात तक करती थी पढ़ाई
शाम्भवी ने बताया, ”मैं सुबह जल्दी उठती थी और कॉलेज जाने से पहले बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी. मैं घर के कामों में अपनी मां की मदद करती थी और अपने जीवन में कुछ करने के दृढ़ संकल्प के साथ आधी रात तक पढ़ाई करती थी. उस दौरान हमें गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. मैं उस समय डिप्लोमा कर रही थी और चुनौतियों के बावजूद, मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी.’’

बैंकिंग की तैयारी के साथ प्राइवेट नौकरी
साल 2022 में पढ़ाई पूरी करने के बाद शाम्भवी नोएडा में अपनी एक सहेली के साथ रहने चली आईं और वहां पर एक निजी कंपनी में 18 हजार रुपये महीने की नौकरी शुरू की. साथ ही बैंकिंग की तैयारी शुरू कर दी और अंतत: शाम्भवी को एक विदेशी बैंक की नोएडा स्थित शाखा में नौकरी मिल गई. शाम्भवी ने अपने कठिन दिनों को याद करते हुए कहा कि ”कोविड-19 में जब कोई घर से नहीं निकलता था ऐसे में मेरी मां की सहेली ममता सक्सेना व उनके बेटे शुभम हमारे साथ लगातार रहे.’’

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