हाइलाइट्स
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है.
शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है, जिसमें खीर रखते हैं.
इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हुई पूछती हैं कि कौन जाग रहा है?
शरद पूर्णिमा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और पूनम पूर्णिमा के नामों से भी जाना जाता है. शरद पूर्णिमा सालभर की सभी पूर्णिमाओं में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और वे उन घरों में जाती हैं, जहां पर प्रकाश, साफ-सफाई होती है और उनके स्वागत में घर के द्वार खुले होते हैं. आइए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा कब है? शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त क्या है? शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व क्या है?
इस साल कब है शरद पूर्णिमा 2023?
तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि इस साल आश्विन पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर दिन शनिवार को प्रात: 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 29 अक्टूबर को 01 बजकर 53 एएम पर होगा. उदयातिथि और पूर्णिमा में चंद्रोदय समय के आधार पर इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
शरद पूर्णिमा 2023 पर चंद्रोदय कब होगा?
इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम 05 बजकर 20 मिनट पर होगा और पूर्णिमा का चंद्रास्त समय प्राप्त नहीं है. 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा व्रत, स्नान-दान, कोजागर पूर्णिमा व्रत और माता लक्ष्मी की पूजा की जाएगी.
रवि योग और अश्विन नक्षत्र में शरद पूर्णिमा 2023
शरद पूर्णिमा के दिन रवि योग, रेवती और अश्विनी नक्षत्र होगा. रवि योग और दोनों नक्षत्र शुभ हैं. रवि योग सुबह 06:30 ए एम से 07:31 ए एम तक रहेगा. रेवती नक्षत्र सुबह से लेकर 07:31 ए एम तक है. उसके बाद से अश्विनी नक्षत्र अगले दिन 29 अक्टूबर को 05:54 ए एम तक है. अश्विनी नक्षत्र में शरद पूर्णिमा का होना स्वास्थ्यवर्द्धक माना जाता है क्योंकि अश्विनी कुमार देवताओं के चिकित्सक हैं.
शरद पूर्णिमा 2023 लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं. उस दिन रात्रि में पूजा के 3 शुभ मुहूर्त हैं. उस रात आप शुभ-उत्तम मुहूर्त 08:52 पी एम से 10:29 पी एम, अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 10:29 पी एम से 12:05 ए एम तक और चर-सामान्य मुहूर्त 12:05 ए एम से 01:41 ए एम तक है. इन तीनों मुहूर्त में आप माता लक्ष्म की पूजा कर सकते हैं.
शरद पूर्णिमा का महत्व
1. शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है क्योंकि उस समय चंद्रमा अपने 16 कलाओं से युक्त होकर अमृत वर्षा करता है. शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे खीर रखते हैं और उसमें चंद्रमा की अमृत गुणों से युक्त किरणें पड़ती हैं, जिससे वह खीर अमृत के समान स्वास्थ्यवर्द्धक हो जाता है.
2. शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा करते हैं, इससे जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है. चंद्रमा को अर्घ्य देने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है.
3. शरद पूर्णिमा के दिन कोजागरी व्रत और पूजा करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हुई यह पूछती हैं कि कौन जाग रहा है? इस वजह से शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं.
4. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था, जिसके कारण शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा कहते हैं.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Laxmi puja
FIRST PUBLISHED : September 20, 2023, 08:18 IST
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