Rakshabandhan 2023: राखी से जुड़ी है चंबल के खूंखार डाकू सलीम गुर्जर के खात्मे की कहानी, 17 साल पहले प्रेमिका के संग हुआ था ढेर

हाइलाइट्स

कुख्यात दस्यु सरगना सलीम गुर्जर को साल 2006 में रक्षाबंधन के अवसर पर अपनी प्रेमिका गीता के साथ मार गिराया गया था
डेढ़ लाख के इनामी कुख्यात सलीम गुर्जर का एनकाउंटर उस वक्त हुआ जब वह अपनी बहन से राखी बंधवाने जा रहा था

इटावा. चंबल घाटी के कुख्यात दस्यु सरगना सलीम गुर्जर को साल 2006 में रक्षाबंधन के अवसर पर अपनी प्रेमिका गीता के साथ उत्तर प्रदेश के औरैया में पुलिस की मुठभेड़ में मारा गया था. सलीम के मारे जाने की यादें हर रक्षाबंधन पर चंबल वासियों के जहन में आ जाती हैं. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 2006 में रक्षाबंधन के ही दिन चंबल घाटी के खूंखार दस्यु सरगना सलीम गुर्जर और उसकी प्रेमिका गीता जाटव को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अयाना इलाके में कैथोली के जंगलो में उस वक्त मार गिराया था जब वह अपनी बहन से राखी बंधवाने गया था.

रक्षाबंधन के दिन हुई मुठभेड़ के बारे मे पुलिस की तरफ से कहा गया था कि सलीम गुर्जर अपनी बहन से राखी बंधवाने आया हुआ था, लेकिन उससे पहले मुखबिर ने इस बात की सूचना दे दी थी. उसके बाद पुलिस ने मुठभेड़ में सलीम और गीता दोनों को मार गिराया था. कानपुर रेंज के तत्कालीन डीआईजी दलजीत चौधरी की अगुआई में पुलिस टीम ने मुठभेड़ को अंजाम दिया था. मौके से एक मशीन गन, एक डबल बैरल बंदूक और भारी मात्रा में कारतूस बरामद हुए थे. सलीम के सिर पर 1 एक लाख 50 हजार रुपये का नगद इनाम था. इटावा के एसएसपी रहने के दरम्यान दलजीत सिंह चौधरी की अगुवाई में चंबल के कई नामी खूंखार डाकुओं का सफाया किया गया था. आज के इटावा और आसपास के लोगों  के जहन मे दलजीत सिंह के समय डाकुओ के हुए खात्मे की यादें जुड़ी हुई हैं. इन्हीं में से एक सलीम गुर्जर का भी एनकाउंटर रहा.

तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बुआ सिंह ने मुठभेड़ में शामिल 10 एसओजी कर्मियों के लिए पदोन्नति की घोषणा की थी. सलीम गुर्जर राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश और दिल्ली में अपहरण और अपराध के अन्य मामलों के 100 से अधिक मामलों मे वांछित था. करीब 45 मिनट चली मुठभेड़ के बाद जब फायरिंग बंद हो गई, तो पुलिस को दो शव मिले, जिन्हें बाद में सलीम और उनके प्रेमिका गीता के रूप में पहचाना गया. गीता के सिर पर 10,000 रुपये का इनाम था. सलीम के साथ मारी गई गीता जाटव इटावा जिले के सहसो इलाके के रानीपुरा गांव की रहने वाली थी, जिसका 28 अगस्त 2005 मे अपहरण हो गया था. गीता के भाई चंद्रसेन ने अपनी बहन के अपहरण का मुकदमा दर्ज करवाया था, लेकिन सलीम और जगजीवन परिहार के गैंग के बीच हुई मुठभेड़ के बाद मुक्त हुए एक किशोर के बयान के बाद गीता को डकैत मान पुलिस ने उस पर इनाम घोषित कर दिया. सलीम गुर्जर मूलरूप से जालौन जिले के रमपुरा इलाके के बिलौड गांव का रहने वाला था. एक समय सलीम गैंग चंबल मे काफी खूंखार गैंग के तौर पर हुआ करता था. सलीम की चंबल के दूसरे खूंखार डकैत जगजीवन परिहार से गैंगवार चला करती थी. इसी गैंगवार के बीच कई दफा सलीम गैंग और जगजीवन के बीच हुई गोलीबारी में सलीम गैंग के दर्जनों सदस्य मौत के घाट उतारे गये.

मुहर लगाओ, वरना गोली खाओ छाती पर
कभी चंबल घाटी में चुनाव के दौरान ऐसे नारों की गूंज हुआ करती थी. चंबल के हर डकैत ने कमोवेश अपने करीबी नाते रिश्तेदार को चुनाव जितवाने के लिए फरमानों का सहारा लेने में कोई गुरेज नहीं किया. उन्हीं में से एक सलीम गुर्जर भी रहा, उस वक्त बेहद खूंखार माने जाने वाले सलीम गुर्जर पर करीब डेढ़  लाख के आसपास इनाम घोषित हुआ. इसी के चलते क्वारी नदी की गोद में बसे विंडवा कला गांव में दस्यु सलीम गुर्जर ने अपनी बहन को 1995 में प्रधान बनवाया तो 2000 में अपने बहनोई को प्रधानी का ताज पहनवाने में कामयाबी हासिल कर ली. कभी औरैया के दिग्गज पत्रकार रहे और आज के एडवोकेट सुरेश मिश्रा का कहना है कि आईपीएस अधिकारी दलजीत चौधरी ने अपने कार्यकाल में इटावा और औरैया जिले में डाकुओं के सफाये के लिए जिस ढंग से अभियान चलाया था, उसका नतीजा आज चंबल और यमुना के बीहड़ में खुशहाली के तौर पर देखा जा रहा है. दलजीत चौधरी की अगुवाई में पुलिस ने डाकुओं की सफाई की दिशा में जिस अंदाज और ढंग से काम किया वह वाकई में काबिले तारीफ है. आज भी लोग उनके कामकाज को इसलिए याद करते हैं कि उन्होंने बीहड़ से डाकू समस्या समाप्त करने में अपने आप को जी जान से खपाया.

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