2014 में देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही पीएम मोदी देश को गुलामी के प्रतिको, गुलामी के निसानो से देश के लोगो को कैसे मुक्ति मिले इसके लिए लगातार काम कर रहे है. आज पीएम मोदी के नेतृत्व में जब पूरा संसद नये भवन में शिफ्ट हुआ है तो देश के 140 आवादी का सीना चौड़ा हो गया है. लोगो को ये एहसास हो गया है की आज का भारत नया भारत है, श्रेष्ठ भारत है और दुनिया में एक नयी पहचान बनाने वाला भारत है. आलम ये है कि भारत की इस तरक्की का देश के पडोसी देश भी जमकर तारीफ़ करने के लिए मजबूर है. नये संसद भवन को लेकर पड़ोसी देश चीन ने भी कुछ दिन पहले भारत की जमकर तारीफ की थी .
चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में नई संसद को लेकर भारत की शान में जमकर कसीदे पढ़े गए. चीन ने कहा था कि भारत ने गुलामी के प्रतीकों को खत्म करने के लिए बेहतर काम किया है. ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में नए संसद भवन का ज़िक्र करते हुए विऔपनिवेशीकरण के समर्थन की बात की है. पूर्व में दूसरे राष्ट्रों द्वार गुलामी में रहे देश जब राजनीतिक रूप से स्वतंत्र हो जाते हैं या इसकी कोशिश में होते तो इसे हम विऔपनिवेशीकरण कहते हैं.चीन की ये तारीफ़ बताता है कि जो दूसरे देश अब तक नहीं कर पाए है, अब भारत इस काम को करने में सक्षम है और कर रहा है.
आजादी के ठीक बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि भारत में गुलामी के और निशान नहीं रहने चाहिए. जो सपने देश के पुरोधाओं ने देखे थी पीएम मोदी उसको साकार करने में जुटे है. दरअसल किसी भी संप्रभु राष्ट्र के लिए अपने प्रतिमान होने चाहिए. डॉ लोहिया इसे समझते थे. लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने उनकी इस सोच पर कभी ध्यान ही नहीं दिया. जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाली तो उन्होंने कोई तोड़ फोड़ नहीं किया, बल्कि एक दूसरा बड़ा प्रतिमान बना कर अपनी सृजन की क्षमता दिखा दी. जैसे इंडिया गेट उसी तरह है लेकिन नया सैन्य मोमोरियल तैयार कर दिया.
संसद का भवन अपने गौरव और आजादी के पहले की हमारी गुलामी के गौरव को लॉर्ड इरविन को इज्जत देते इतराता रहेगा, फिर भी मोदी की अगुवाई में एक नया प्रतिमान उससे कहीं बहुत बेहतर गढ़ दिया गया. बेहतरीन भारतीय मेधा के साथ जहां उससे बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है. देश की राजधानी दिल्ली जब अब आप आएंगे तो राजपथ सड़क नहीं मिलेगा क्योंकि उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है. अब चलिए आपको बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक कितने गुलामी के निशानी को खत्म करने का काम किया है.
स्वतंत्रता दिवस पर ली शपथ
पीएम मोदी ने 2022 के स्वंत्रता दिवस समारोह में’पंच प्रण’ लिया था जिसमें एक प्रण गुलामी की निशानी को खत्म करना भी था . प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि हमें हर उस निशानी को मिटाना है जो अंग्रेजों से जुड़ी है, जो गुलामी की प्रतीक हैं.
नेवी से मिटाया गुलामी का प्रतीक
प्रधानमंत्री ने नौसेना को आई एन एस विक्रांत एयरक्राफ्ट सौंपा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री ने नौसेना की पुराने झंडे को खत्म कर दिया जो कि एक अंग्रेजों की निशानी थी. उस झंडा पर किंग जॉर्ज के क्रॉस का सिंबल था. इसके बाद पीएम मोदी ने इसे बदलकर नौसेना की नहीं पहचान बनाई. प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज के झंडा को नेवी के नाम कर दिया है. जिसके बाद से अब नेवी का फ्लैग बदल गया है.
अंग्रेजों के जमाने के 1500 कानूनों से मुक्ति
अंग्रेज चले गए लेकिन अंग्रेजो के दिए गए कानून जस के तस देश में काबिज थी, कभी पूर्ववर्ति के सरकारों ने इसपर धयान नहीं दिया. लेकिन आपको बता दूँ की पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व ने इसको ख़त्म करने का ठाना, आलम ये है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने 1500 से भी ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है. अंग्रेजों के जमाने के ये कानून अप्रासंगिक हो चुके थे लेकिन उन्हें ढोया जा रहा था. इनमें से कई कानून तो ब्रिटिश राज में भारतीयों के शोषण के औजार थे. वैसे ये सिलसिला अभी जारी है.
बदल गए हैं कुछ बड़े जगहों के नाम
इसके अलावा जिन राज्यों में भाजपा की सरकार रही, उन राज्यों में शहर से लेकर सड़कों के नाम बदल दिए गए. इनमें देखा गया कि जिन सड़कों या शहरों के नाम बदले गए. बीजेपी सरकारों ने कई रेलवे स्टेशन के नाम भी चेंज किए. मसलन मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया तो गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया गया. कर्जन रोड को बदलकर कस्तूरबा रोड कर दिया गया. रेस कोस का भी नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया. औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया. इसके अलावा डलहौजी रोड को बदलकर दारा शिकोह रोड कर दिया गया.
इंडिया गेट के ग्रैंड कैनोपी में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहल का नतीजा है कि जिस स्वंत्रता सेनानी को कांग्रेस की सरकारों ने अनदेखी की है, उनको ऐसा सम्मान दिया जिसपर देश गौरवन्वित कर रही है. महान बलिदानी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की इंडिया गेट की ग्रैंड कैनोपी में ग्रेनाइट से बनी 28 फीट ऊंची नेताजी की भव्य प्रतिमा स्थापित की. किसी जमाने में इस कैनोपी में जॉर्ज पंचम की प्रतिमा लगी थी जिसे आजादी के 21 साल बाद 1968 में हटाया गया था. देश के लिए विरासत पर गर्व करने का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है.
आम बजट में रेलवे बजट का विलय
2017 में सरकार ने 92 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया. इसके अलावा बजट पेश करने की तारीख में भी बदलाव किया गया. औपनिवेशिक काल से ही बजट फरवरी महीने के आखिरी दिन पेश किया जाता था. अब पहली फरवरी को पेश किया जाता है. गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति के संदर्भ में यह बदलाव बहुत महत्वपूर्ण है.
बीटिंग रीट्रीट में ‘अबाइड विद मी’ की जगह ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’
गणतंत्र दिवस समारोह के बाद होने वाले बीटिंद रीट्रीट सेरिमनी से चर्चित क्रिश्चियन प्रेयर गीत ‘अबाइड विद मी’ को इस साल हटा दिया गया. उसकी जगह पर कवि प्रदीप के मशहूर गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ को शामिल किया गया. 2015 में भी बीटिंग रीट्रीट समारोह में कुछ बड़े बदलाव किए गए थे. भारतीय वाद्ययंत्रों सितार, संतूर और तबला को पहली बार इसमें शामिल किया गया.
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के द्वीपों का नाम बदला
दिसंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की भावनाओं के अनुरूप अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के तीन द्वीपों के नाम बदल दिए. नेताजी ने तो 1943 में पूरे अंडमान और निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद और स्वराज द्वीप करने का सुझाव दिया था. मोदी सरकार ने रॉस आइलैंड का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वीप कर दिया. नील आइलैंड को शहीद द्वीप और हैवलॉक आइलैंड को स्वराज द्वीप का नाम मिला.
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Tags: Modi government, Narendra modi, PM Modi
FIRST PUBLISHED : September 22, 2023, 09:20 IST
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