नई दिल्ली: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से वहां की संसद में आए एक बयान के बाद भारत और कनाडा के बीच तल्खी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है. यह पूरा विवाद खालिस्तान आंदोलन पर केंद्रित है. भारत ने कनाडा पर बार-बार अपनी धरती पर खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने का आरोप लगाया है, जो भारत में प्रतिबंधित है, लेकिन सिख प्रवासियों के बीच इसका समर्थन है. बीते दिनों जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की एजेंसियों की संलिप्तता के आरोप लगाए.
इसके बाद कनाडा ने अपने यहां शीर्ष भारतीय राजनयिक को सस्पेंड कर दिया. भारत ने भी इस कार्रवाई का जवाब उसी भाषा में दिया और नई दिल्ली में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैके को निष्कासित करते हुए 5 दिन के अंदर उनसे देश छोड़ने के लिए कह दिया. हरदीप सिंह निज्जर, जिसकी इस साल जून में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, को जुलाई 2020 में भारत द्वारा ‘आतंकवादी’ नामित किया गया था. हरदीप सिंह निज्जर एक कनाडाई नागरिक था. आइए 10 बिन्दुओं में जानते हैं, इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है…
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में एक बयान में कहा कि इस साल जून में हुई हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने के विश्वसनीय आरोप हैं. ट्रूडो ने एक आपातकालीन सत्र में कहा, ‘कनाडाई धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी भी विदेशी सरकार की भागीदारी हमारी संप्रभुता का अस्वीकार्य उल्लंघन है. यह उन मौलिक नियमों के विपरीत है जिनके द्वारा स्वतंत्र, खुले और लोकतांत्रिक समाज अपना आचरण करते हैं.’
कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए भारत सरकार ने निज्जर की हत्या में अपना हाथ होने से साफ इनकार किया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा दिए गए ऐसे बयान खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से ध्यान हटाने की एक कोशिश है, जिसे कनाडा में आश्रय मिलता रहा है. ये खालिस्तानी आतंकवादी और चरमपंथी, भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बने हुए हैं. कनाडा के कई राजनेताओं ने खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों के प्रति नर्म रवैया अपनाया है, जो एक चिंता का विषय है.’
कनाडा ने अपने प्रधानमंत्री ट्रूडो के बयान के बाद ओटावा में शीर्ष भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया. वह 1997 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस अफसर हैं और वर्तमान में कनाडा में भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) में स्टेशन प्रमुख के रूप तैनात थे. भारतीय खुफिया अधिकारी के निष्कासन की कनाडा की सार्वजनिक घोषणा को ‘दुर्लभ’ मामले के रूप में देखा जा रहा है. चूंकि ऐसे मुद्दों को आम तौर पर विवेकपूर्ण तरीके से संभाला जाता है.
कनाडा की कार्रवाई का जवाब भारत ने उसी की भाषा में दिया. विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायुक्त कैमरून मैके को तलब किया. एमईए ने मैके को कनाडा सरकार की कार्रवाई की प्रतिक्रिया के रूप में भारत सरकार के जवाब से अवगत कराया और एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित करने का फैसला किया. भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से उस कनाडाई राजनयिक को देश छोड़ने के लिए 5 दिन का समय दिया गया है.
भारत के ‘जैसे को तैसे’ की भाषा में जवाब के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के तेवर नरम पड़ गए. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने मंगलवार को कहा कि कनाडा एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या से भारतीय एजेंटों के जुड़े होने का सुझाव देकर उसको उकसाने की कोशिश नहीं कर रहा है, लेकिन ओटावा चाहता है कि नई दिल्ली इस मुद्दे को ठीक से एड्रेस करे. उन्होंने रॉयटर्स से कहा, ‘भारत सरकार को इस मामले को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है. हम सिर्फ इतना ही कर रहे हैं, हम भारत को उकसा नहीं रहे या इसे आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.’
रिश्तों में कड़वाहट के बीच कनाडा सरकार ने मंगलवार को भारत में अपने नागरिकों के लिए एक ट्रैवल एडवाइजरी जारी की. इसमें भारत की यात्रा करने वाले या फिर भारत में रह रहे कनाडाई नागिरकों को जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों नहीं जाने की सलाह दी गई. कनाडा ने एडवाइजरी में अपने नागरिकों को सलाह देते हुए कहा, ‘हम भारत में अपने नागरिकों को सूचित कर रहे हैं कि अप्रत्याशित सुरक्षा हालातों के कारण वे जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों की यात्रा करने से बचें. यहां आतंकवाद, उग्रवाद, अशांति और अपहरण का खतरा है.’
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FIRST PUBLISHED : September 20, 2023, 07:22 IST
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