History World War II beginning on First day of September still lot to be learnt

द्वितीय विश्व युद्ध की आज से 84 साल पहले शुरू हुआ था और खत्म हुए 78 साल होने को हैं. हैरानी की बात है कि आज भी इसकी भयावहता से सबक लेने की जरूरत बनी है. युद्ध क्यों शुरू होते हैं और वे विनाश की किस पराकाष्ठा  तक पहुंच सकते हैं इसकी मिसाल द्वितीय विश्व युद्ध है. यूरोप में एक सितंबर 1939 को ही द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत मानी जाती है. आज जब भी किसी दो बड़े देशों के बीच युद्ध के हालात बनते हैं तो विश्व युद्ध के खतरों की खूब चर्चा होती है. लेकिन इस पर मनन नहीं होता है कि युद्ध के हालात पनपने से कैसे रोके जा सकते हैं. एक सितंबर की तारीख यह विचार करने का दिन है.

युद्ध की कगार के हालात
दुनिया में युद्ध के हालात कभी भी पैदा हो सकते है, किए जा सकते हैं या करने दिए जा सकते हैं. आज रूस यूक्रेन युद्ध के विश्व युद्ध में बदलने का खतरा दिखाया जाता है. तो वहीं चीन की अपने पड़ोसियों के प्रति आक्रामक नीति कई देशों को युद्ध के लिए तैयारी करने पर मजबूर कर रही है. मध्य पूर्व के कई देश अमेरिका से परेशान हैं. ईरान तो अमेरिका को अपना कट्टर दुश्मन मानता है. द्वितीय विश्व युद्ध के पनपने के हालात सिखाते हैं कि युद्ध को नजरअंदाज करना कितना जरूरी है.

पहले विश्व युद्ध में पड़ी थी नींव
माना जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध की नींव प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 में हुई विएना संधि में पड़ी. इसमें पहले विश्व युद्ध के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया और उस पर लगी सख्त शर्तों से जर्मनी में रोष पैदा हो गया जिसके पूरा फायदा हिटलर ने उठाया. लेकिन इस संधि को भी पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं माना जाता सकता है. हिटलर की नाजीवादी सोच भी एक बड़ा कारण था जिसने जर्मनी सहित पूरी दुनिया को विश्व युद्ध में धकेल दिया.

हिटलर का उदय
हिटलर प्रथम विश्व युद्ध में एक जर्मन सैनिक था. युद्ध के बाद वह जर्मनी के सेना में खुफिया एजेंट बनकर जर्मन वर्कर पार्टी में काम करने लगा. यहीं उसने कम्युनिस्ट विरोधी, यहूदी विरोधी विचारधारा को बढ़ावा देना शुरू किया. जल्दी ही हिटलर की पार्टी में लोकप्रियता मिलती गई और वह जर्मन राजनीति में लोकप्रियता की पायदाने चढता हुए 1933 में जर्मनी का चांसलर बन गया.  इसके बाद उसे देश की नाजी पार्लियामेंट ऑर्गनाइजेशन में सुप्रीम कमांडर बनने में देर नहीं लगी.

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आज भी द्वितीय विश्व युद्ध के लिए मुख्य तौर से हिटलर को जिम्मेदार माना जाता है.

जर्मनी के पड़ोसी देशों की कमजोरी
लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध के यूरोप में फैलने और जर्मनी की मजबूती और विस्तार के लिए यूरोप के आसपास के देशों की कमजोरी भी कम जिम्मेदार नहीं थी. स्पेन का गृहयुद्ध, ऑस्ट्रिया चेकेस्लोवाकिया पर हमला, जैसे कई कारक थे जिन्होंने अंततः जर्मनी को पोलैंड पर हमला करने के लिए प्रेरित किया जिससे द्वितीय विश्व की शुरुआत का तात्कालिक कारण कहा जाता है.

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युद्ध खत्म हुआ पर युद्ध के खतरे नहीं
लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद  जिस तरह से दुनिया दो खेमों में बंटी और दुनिया ने शीत युद्ध के खौफ को झेला वह भी बताता है कि युद्ध का खतरा युद्ध से कम भी नहीं होता है. लेकिन हकीकत यह है कि इस विश्व युद्ध में ही महाशक्ति के बीच शीत युद्ध का आगाज हो गया था क्योंकि इसी युद्ध में अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिरा कर एक तीर से कई शिकार कर खुद को महाशक्ति के तौर पर स्थापित करने का प्रयास किया था.

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द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद भी युद्ध के खतरे कम नहीं हुए. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

आज की दुनिया में कई तरह के खतरे
आज अंततराष्ट्रीय स्थितियों को बहुत देखना पड़ता है क्योंकि करीब-करीब दुनिया का हर देश आर्थिक तौर पर दूसरे देशों पर निर्भर है और बड़े युद्ध को सहन नहीं कर सकता है. रूस यूक्रेन संघर्ष में राहत की बात यह है कि अभी तक दोनों पक्षों के बीच के संघर्ष की आग दूसरे देशों तक नहीं पहुंची है, लेकिन चिंगारी का खतरा कायम है. वहीं केवल यही दो देश नहीं हैं जिससे खतरा है. चीन-ताइवान संघर्ष, अमेरिका उत्तर कोरिया, अमेरिका चीन, अमेरिका ईरान, ऐसे कई खतरे हैं जो दुनिया को विश्व युद्ध में धकेलने की क्षमता रखते हैं.

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इन सब हालात के बीच गौर करने वाली बात है हथियारों का उद्योग. कोई भी युद्ध हो यही उद्योग है जो अब तक कायम है पनप रहा है. रूस यूक्रेन युद्ध में नाटो का दावा था कि युद्ध लंबे चलेगा और धीरे धीरे रूस कमजोर होगा, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. बल्कि ना तो रूस के हथियार कम होते दिख रहे हैं और ना ही यूक्रेन को पश्चिमी देशों, खास तौर से अमेरिका की मदद में किसी तरह की कमी दिख रही है. चीन के खौफ का आलम यह है कि अब तो चीन के कारण जापान ने भी अपना रक्षा बजट बढ़ा दिया है.

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