Business Idea: ढैंचा की खेती से यूरिया की जरूरत हो जाएगी खत्म, सरकार भी दे रही बढ़ावा, ऐसे उठाएं योजना का फायदा

हाइलाइट्स

हरियाणा सरकार ने बजट में प्राकृतिक खाद को बढ़ावा देने के लिए बड़ी घोषणा की है.
हरी खाद के इस्तेमाल से यूरिया की जरूरत खत्म हो जाती है.
ढैंचा से हरी खाद बनाने पर खेतों में खरपतवार की संभावना नहीं रहती है.

नई दिल्ली. अगर आप खेती के लिए किसी नए आईडिया की तलाश में है तो हम आपको एक शानदार आईडिया दे रहे हैं. यह एक ऐसी फसल है जिसकी खेती आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं और इसके खराब होने की संभावना भी बिलकुल जीरो है. दरअसल, हम यहां ढैंचा यानी हरी खाद की खेती की बात कर रहे हैं. इसकी खेती करके आप मोटी कमाई कर सकते हैं.

देश में कई राज्यों की सरकारें इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद भी मुहैया करा रही है. यह नाइट्रोजन समेत कई तत्वों से भरपूर होता है इसलिए यह किसी खाद से कम नहीं है. आइए जानते हैं कि आप इसकी खेती कैसे शुरू कर सकते हैं.

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कैसे करें खेती की शुरुआत?
ढैंचा की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से जुताई करनी होती है. इसकी बुआई सरसों की तरह लाइनों में या फिर छिड़काव विधि से की जा सकती है. अगर आप ढैंचा से सिर्फ़ हरी खाद बनाना चाहते हैं तो खेत को सिर्फ एक बार जोतकर उसमें छिड़काव विधि से ढैंचा की बुवाई कर सकते हैं. ढैंचा की खेती का तरीका बिलकुल सामान्य होता है. इसकी बुवाई के मात्र एक से डेढ़ महीने के भीतर इसके पौधों की लंबाई 3 फुट तक पहुंच जाती है.

सरकार दे रही खेती की 80 फीसदी लागत
हरियाणा सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में राज्य में प्राकृतिक खाद को बढ़ावा देने के लिए बड़ी घोषणा की है. राज्य सरकार ढैंचा की खेती पर 720 रुपये प्रति एकड़ यानी खेती का लगभग 80 फीसदी कॉस्ट देने का ऐलान किया है. इससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा. बता दें कि हरी खाद के इस्तेमाल से यूरिया की जरूरत खत्म हो जाती है. हालांकि, ढैंचा की खेती किसी भी सीजन में की जा सकती है. लेकिन ज्यादा अच्छे परिणाम के लिए खरीफ के सीजन में इसकी बुवाई कर सकते हैं. इसकी गांठों में नाइट्रोजन का भंडार पाया जाता है. इसलिए ढैंचा की कटाई करके उसे खेतों में ऐसे ही फैला दिया जाता है.

हरी खाद से होगी मोटी कमाई
बता दें कि ढैंचा से हरी खाद बनाने पर खेतों में खरपतवार की संभावना नहीं रहती है. हरी खाद की खेती करने पर खेत में निराई-गुड़ाई और खरपतवार नियंत्रण की लागत काफ़ी कम हो जाती है. इससे किसानों का खेती पर खर्च घटता है और कमाई में बढ़ोतरी होती है. ढैंचा की खेती से एक एकड़ से करीब 25 टन तक की पैदावार मिल सकती है. वहीं मार्केट में ढैंचा के बीज करीब 40-50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकते हैं. इस तरह यह किसानों के लिए काफ़ी फायदेमंद हो सकता है.

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