सौरभ तिवारी/बिलासपुर. अंगदान को महादान कहा जाता है. किसी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर का कोई अंग दान करना अंगदान कहलाता है. वहीं बिलासपुर में हाल ही में एक बुजुर्ग व्यक्ति अपने मरने के बाद अपनी आंखों को दान कर दो लोगों के जीवन में रोशनी कर गए. दयालबंद ऋषि कॉलोनी निवासी अमृतलाल मंगवानी 78 वर्ष के थे. उनका हाल ही में निधन हुआ हैं. वहीं उनके मरने के बाद उनके परिवार ने जो निर्णय लिया, उससे आज दो लोगों के जीवन में रोशनी आने की उम्मीद है. वहीं लोग इनके इस निर्णय की काफी सरहाना कर रहे हैं.
अमृतलाल मंगवानी के सुपुत्र हरीश, दीपक, मुकेश मंगवानी और अन्य परिवारजनों ने उनका नेत्रदान करवाने की इच्छा जाहिर की. परिवार के लोगों ने हैंड्स ग्रुप से संपर्क किया और नेत्रदान की बात कही. हैंड्स ग्रुप से विकास गुरवानी ने सिम्स अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की. वहीं सिम्स के डॉ. राहुल चौधरी ने टीम के साथ अमृतलाल के निवास स्थल पहुंचकर सफल नेत्रदान करवाया. वहीं इस पहल से शहर के लोग अमृतलाल के परिवार की खूब तारीफ कर रहे हैं. उनके परिवार ने नेत्रदान का जो निर्णय लिया, उससे अब यह आंखें 2 जरूरतमंदों के काम आएगी और वह लोग अमृतलाल जी की आंखों से दुनिया देख सकेंगे.
हैंड्स ग्रुप ने करवाए 400 से अधिक नेत्रदान
हैन्ड्स ग्रुप हमेशा से ही लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करने का कार्य करता रहा है. पिछले कुछ वर्षों में हैंड्स ग्रुप ने लगभग 400 से अधिक सफल नेत्रदान करवाए हैं. हैंड्स ग्रुप की ओर से इस तरह के कार्यों से समाज में जागरूकता भी फैली है परंतु अभी भी लोगों को और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है, अभी भी कई लोग अपनों के मरणोपरांत उनके नेत्रों का दान करने में झिझकते हैं.
हैंड्स ग्रुप ने नेत्रदान के लिए किया निवेदन
वहीं हैंड्स ग्रुप समाज और शहर के सभी लोगों से निवेदन करता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग, अपनों के मरणोपरांत उनके नेत्रों का दान करवाएं ताकि मरणोपरांत दो चुटकी राख हो जाने वाले नेत्र, अगर समय पर दान कर दिए गए तो वह किसी दो नेत्रहीनों के जीवन में नेत्र ज्योति ला सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 12, 2023, 11:41 IST
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