Annie Besant Death Anniversary know the contribution of Annie Besant in freedom movement

हाइलाइट्स

एनी बेसेंट 46 साल की उम्र में थियोसोफिकल सोसाइटी की सदस्य के रूप में भारत आईं थी.
वे भारत के धर्म आध्यात्म से बहुत प्रभावित होकर राजनैतिक रूप से सक्रिय हो गई थीं.
1916 के होमरूल लीग आंदोलन में उनकी भारत में लोकप्रियता बहुत बढ़ गई थी.

जब 1885 में कांग्रेस का निर्माण हुआ था तो उसका अध्यक्ष एक अंग्रेज को बनाया गया था.  जल्दी इस पार्टी पर भारतीयों का वर्चस्व हो गया और धीरे धीरे यह साफ होता चला गया कि अब यह असंभव ही है कि कोई विदेशी कांग्रेस का अध्यक्ष बन पाएगा. लेकिन 1917 में कांग्रेस की अध्यक्ष पद एनी बेसेंट नाम की एक आयरिश महिला को मिला, जबकि उन समय तो कांग्रेस में दिग्गज भारतीय नेताओं की कोई कमी भी नहीं थी. आखिर एनी बेसेंट कौन थीं और उनका भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में क्या योगदान था और उन्होंने ऐसा क्या कर डाला था कि भारत के राजनेता उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष तक बनाने के लिए तैयार हो गए.

माता पिता से मिली धार्मिक और तार्किक सोच
एनी वुड बेसेंट का जन्म लंदन में एक अंग्रेजी उच्च मध्यमवर्ग परिवार में एक अक्टूबर 1847 में हुआ था. उनके पिता एक डॉक्टर थे. आदर्शवादी मां और दार्शिनिक पिता के धार्मिक प्रभावों का उन पर गहरा असर था जिसकी वजह से उनके मन में समाज सेवा, आजादी, जैसे विचार पनपे. बीस साल की उम्र में उनका विवाह एक पादरी से हुआ जो असफल रहा और वे अपनी बेटी के साथ पति से अलग हो गईं.

आध्यात्म और ईश्वरवाद की ओर
जल्दी ही एनी परम्परागत धार्मिक विचारों पर सवाल उठाने लगीं. उन्होंने लेखन के साथ वक्तव्य देना शुरू किया और महिला एवं कामगारों के अधिकारों, जनसंख्या नियंत्रण, धर्मनिर्पेक्षता, वैचारिक स्वतंत्रता आदि मुद्दों पर खुल कर बहस की. लेकिन जल्दी वे आध्यात्म और ईश्वरवाद की ओर झुकने लगीं. स्वतंत्रता की समर्थक होने के नाते वे हमेशा ही होमरूल की पैरोकार रहीं. लेकिन इससे उन्हें चर्च और कानून की नाराजगी भी झेलनी पड़ी.

कैसे हुआ था भारत से जुड़ाव
एनी बेसेंट ने पहली बार भारत के बारे में 1878 में लेखों के जरिए अपने विचार प्रस्तुत किए. 1883 में वे थियोसोफिकल सोसाइटी से जुड़ गईं और जल्दी ही अपनी प्रभावी वाक कौशल के कारण उसकी प्रमुख वक्ता बन गईं. 1893 में स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो की जिस धर्म संसद में अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था, उसी संसद में एनी बेंसेंट ने भी थियोसोफिकल सोसाइटी का प्रतिनिधित्व किया था.

India, Research, History, Indian History, freedom Movement, Annie Besant, Theosophical Society, Home Rule league, British Women, Indian National Congress, Congress President,

एनी बेसेंट ने भारत में भारत में आकर धर्म आध्यात्म के अध्ययन से शुरुआत की थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

भारत में बढ़ती सक्रियता
एनी बेसेंट ने केवल इंग्लैंड और उसके आसपास ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को थियोसोफिकल सोसाइटी की शाखाओं के जरिए एक करने के प्रयास करने लगी और 1893 में वे भारत पहुंची और पहले उन्होंने 1906 तक अधिकांश समय बनारस में बिताया. उन पर भारतीय आध्यात्म और दर्शन का गहरा प्रभाव पड़ा. 1907 में वे थियोसोफिकल सोसाइटी की अध्यक्ष बन गईं और भारत को ही सोसाइटी का गतिविधि केंद्र बना लिया.

यह भी पढ़ें: Jatin Das Death Anniversary: बेकार नहीं गया था क्रांतिकारी जतिनदास का बलिदान

राजनैतिक सक्रियता
लेकिन जल्दी ही एनी बेसेंट केवल धर्म आध्यात्म तक ही सीमित नहीं रही. उन्होंने शैक्षणिक और राजनैतिक जागरण करने की दिशा में काम करना शुरू किया. पहले तो वे आयरलैंड के लिए होमरूल की समर्थक थीं, लेकिन भारत में भी उन्होंने होमरूल का संमर्थन करना शुरू कर दिया.  रहीं. वे सोसाइटी के कार्यों के साथ राजनीति में भी सक्रिय हो गईं और भारत में स्वशासन की पैरवी करते हुए लिखती रहीं.

India, Research, History, Indian History, freedom Movement, Annie Besant, Theosophical Society, Home Rule league, British Women, Indian National Congress, Congress President,

एनी बेसेंट ने होम रूल लीग आंदोलन में भारत में बहुत ज्यादा लोकप्रियता हासिल की थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

होमरूल आंदोलन की अगुआई
उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध को अंग्रेजों की जरूरत को भारत के लिए एक मौका बताया. उससे पहले ही वे कांग्रेस की सदस्यता ले चुकी थीं. 1916 में एनी बेसेंट ने लोकमान्य तिलक के साथ ऑल इंडिया होम रूल लीग आंदोलन शुरू किया. बेसेंट ने आंदोलन को जन जन तक पहुंचाया. इस दौरान उन्हें बहुत लोकप्रियता और भारतवासियों का प्रेम मिला. जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तो कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने इसका विरोध किया और अंग्रेजों को उन्हें रिहा करना पड़ा.

यह भी पढ़ें: Vinoba Bhave Birthday: हिमालय जा रहे थे, गांधी जी पर लेख ने बदल दी जिंदगी!

एनी बेसेंट की रिहाई के समय उनकी लोकप्रियता का चरम पर था. खुद महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं ने उनकी तारीफ की थी. महात्मा गांधी ने तो उन्हें वसंत देवी तक कह डाला था. एक एक आयरिश मूल की महिला होने के बावजूद वे साल 2017 में कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं. इसके बाद उनकी राजनैतिक सक्रियता बहुत ही कम हो गई. फिर भी समय समय पर वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार भारत का पक्ष रखती रहीं. बाद 20 सितंबर 1933 को, 85 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

Tags: History, India, Research

https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2023/09/Annie-Besent-201-1200-900-Wikimedia-Commons-169514558716×9.jpg