10 लाख लोगों का दूर होगा अंधेरा, कार्निया ट्रांसप्लांट की शुरुआत, सेल्फी पॉइंट बना दिया मैसेज

हिना आज़मी/देहरादून. भगवान की ओर से इस कायनात की खूबसूरती को हम लोग आखों से देखकर काफी खुशनसीब महसूस करते हैं, लेकिन ऐसे कई लोग हैं जिनकी आंखें सही तरीके से काम नहीं करती. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 10 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें कॉर्नियल ब्लाइंडनेस की समस्या होती है, और वे कॉर्नियल ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं. इस संदर्भ में, नेत्रदान एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है जो इन लोगों की अंधेरी हुई जिंदगी में उजाला ला सकता है.

मृत्यु के बाद भी कई लोग नेत्रदान करते हैं, जिससे एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी चार अन्य व्यक्तियों की जिंदगियों को रोशनी मिल सकती है. इसलिए दून मेडिकल कॉलेज की ओर से नेत्रदान महादान अभियान का आयोजन किया जा रहा है. इसके माध्यम से लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक किया जा रहा है.

हाल ही में दून मेडिकल कॉलेज में नेत्रदान पखवाड़े की शुरुआत की गई है. इस अवसर पर पहले दिन हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने नेत्रदान के महत्व को समझते हुए हस्ताक्षर किए. इसके बाद, दून मेडिकल कॉलेज में एक सेल्फी प्वाइंट भी स्थापित किया गया है, जिसका उद्घाटन भी किया गया. इसका उद्देश्य लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करना और उन्हें नेत्रदान के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है.

चार लोगों को मिलेगी नई जिंदगी
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने सभी को नेत्रदान के प्रति प्रेरित किया. उन्होंने बताया कि नेत्रदान एक महादान है और जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके नेत्रदान से वह एक शख्स चार अन्य व्यक्तियों की जिंदगियों को रोशनी दे सकता है. डॉ. सयाना ने बताया कि नई तकनीक में अब एक आंख से दो कार्निया की ट्रांसप्लांट की जा रही है. इसके बाद कॉर्निया का दान करने की प्रक्रिया कुछ घंटों के भीतर की जा सकती है, जिससे किसी की जिंदगी को रौंगते दी जा सकती है. उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई मृत परिवार का व्यक्ति किसी अन्य की जिंदगी को रोशन करना चाहता है, तो वह अस्पताल प्रक्रिया के लिए तत्पर रहेगा. उन्होंने नेत्रदान के महत्व को बढ़ावा देने के लिए ऐसे अभियान का आयोजन किया है जो लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा है.

इन कारणों से होता है कॉर्निया को नुकसान 
दून अस्पताल के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. यूसुफ रिजवी ने बताया कि नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट (एनपीसीबीवीआइ) के अनुसार, देश में लगभग 10 लाख लोग कार्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं और कार्नियल ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं. इसका मतलब है कि लोगों के बीच नेत्रदान के महत्व की जागरूकता को बढ़ाने की आवश्यकता है. डॉ. रिजवी ने बताया कि नेत्रदान एक महादान होता है और मृत्यु के बाद नेत्रदान करने वाला एक व्यक्ति चार अन्य व्यक्तियों की जिंदगियों को रोशनी दे सकता है.

उन्होंने बताया कि नई तकनीकों के साथ अब एक आंख से दो कार्निया की ट्रांसप्लांटेशन की जा रही है. कॉर्निया का दान कुछ घंटों के अंदर किया जा सकता है, जिससे किसी की जिंदगी को रोशनी मिल सकती है. वे बताते हैं कि कॉर्निया का नुकसान कई कारणों से हो सकता है, जैसे आई फ्लू और त्योहारों में पटाखों और रंगों के प्रयोग से. इसके बावजूद, कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता होती है, जिसके लिए नेत्रदान अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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