हथिनीकुंड बैराज क्या है, इससे छोड़े पानी में क्यों समा रहे दिल्ली के कई इलाके? जानें

नई दिल्ली. भारी बारिश के बाद नदियों में उफान से देश की राजधानी दिल्ली जलमग्न हो गई है. दिल्ली में आई बाढ़ का कारण ​हथिनीकुंड से छोड़े गए पानी को माना जा रहा है. पानी के दबाव के बाद यहां से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली के कई इलाके डूबते चले गए और उन्हें यहां हालात संभालना भी बस के बाहर था.

हथिनीकुंड बैराज हरियाणा के जिला यमुनानगर में हिमाचल की सीमा के समीप यमुना नदी पर बना हुआ है. हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ों को यमुना नदी की कैचमेंट बेल्ट कहा जाता है. मानसून में इन पहाड़ों पर अधिक बारिश होने से पानी सैलाब बनकर सबसे पहले यहीं उतरता है और हथिनीकुंड बैराज की दीवारों से टकराता है. इसके अलावा यमुना की सहायक बरसाती नदियां सोम और पथराला का पानी भी यमुना का जलस्तर बढ़ाने का काम करती हैं.

हथिनीकुंड बैराज से पानी तीन दिशाओं में होता है डायवर्ट
गौरतलब है कि हथिनीकुंड बैराज में स्टोरेज क्षमता नहीं है. वह सिर्फ पानी को डायवर्ट करने का काम करता है. यहां हर घंटे गेज की मदद से पानी को नापा जाता है. अगर पानी एक लाख क्यूसेक से कम है तो उसे यहां से निकलने वाली तीन नहरों में राजस्थान, हरियाणा‌ और उत्तर प्रदेश में सिंचाई के लिए डायवर्ट कर दिया जाता है. अगर पहाड़ों से पानी एक लाख क्यूसेक से ज्यादा आ जाता है तो यमुना में मिनी फ्लड और ढाई लाख क्यूसेक आने पर हाई फ्लड घोषित कर दिया जाता है.

18 फ्लड गेटों को खोलकर निकाला जाता है पानी
मिनी फ्लड घोषित होने के बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में सिंचाई के लिए जाने वाली नहरों को बंद कर दिया जाता है, क्योंकि पानी के ज्यादा दबाव से इन नहरों के टूटने का डर बना रहता है. हाई फ्लड के बाद हथिनीकुंड बैराज पर लगे सभी 18 फ्लड गेटों को खोल दिया जाता है और सारा पानी यमुना नदी में डायवर्ट कर दिया जाता है. साथ ही चेतावनी के लिए बैराज पर लगे सायरन भी बजा दिए जाते हैं, ताकि अगर कोई किसान अपने खेत में है तो सायरन सुनकर सुरक्षित स्थान पर चला जाए.

2019 में हथिनीकुंड बैराज में आ चुका है 8 लाख क्यूसेक पानी
यमुना नदी हरियाणा के करनाल, पानीपत और सोनीपत से होती हुई दिल्ली पहुंचती है. जैसे-जैसे बारिश होती रहती है यमुना में जलस्तर भी बढ़ता रहता है. जहां भी यमुना को कमजोर किनारा मिलता है वह ब्रीच कर जाती है और अपने रास्ते में आने वाली हर शह को तिनकों की तरह बहा ले जाती है. इस साल हथिनीकुंड बैराज में अभी तक अधिकतम 3 लाख 59 हजार क्यूसेक पानी ही आया है, जबकि साल 2019 में हथिनी कुंड बैराज में करीब 8 लाख क्यूसेक तक पानी भी आ चुका है.

इस साल दिल्ली में आई बाढ़ को लेकर संभावनाएं जताई जा रही है कि अनुमान से अधिक बारिश होने की वजह से दिल्ली को ज्यादा नुकसान झेलना पड़ रहा है.

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