सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ बुधवार यानी 20 सितंबर को तीन अहम मामलों की सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली बेंच असम एनआरसी (NRC) मामले को सुनेगी. इस मामले में नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.
क्या है धारा 6ए जिसपर विवाद?
धारा 6ए के तहत प्रावधान है कि ऐसे लोग जो, 1 जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच भारत आए और असम में रह रहे हैं, उन्हें खुद को भारत के नागरिक के रूप में रजिस्टर करने की अनुमति मिलेगी. पहले सुप्रीम कोर्ट की रेगुलर बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. बाद में मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया गया.
क्यों दी गई चुनौती? गुवाहाटी स्थिति असम संमिलिता महासंघ ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को चुनौती दी है. असम संमिलिता महासंघ, एक सिविल सोसायटी संगठन है, जिसका तर्क है कि धारा 6A भेदभावपूर्ण-मनमाने तरीके से लागू किया गया है, क्योंकि इसमें असम और भारत के दूसरों हिस्सों में आए अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने की अलग-अलग कटऑफ यानी तारीख तय की गई है.
दूसरा केस: संविधान पीठ के सामने दूसरा मामला SC/ST के लिए आरक्षण से संबंधित है। इस मामले को 2003 में पांच-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया था, जिसमें कानून का तत्कालीन प्रश्न यह था कि क्या 79वें संवैधानिक संशोधन के तहत एससी/एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए आरक्षण की अवधि को 50 साल से बढ़ाकर 60 साल करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है?
रिश्वत से जुड़ा तीसरा केस: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ के समक्ष तीसरा मामला ”सीता सोरेन बनाम भारत संघ” का है. इस मामले में सवाल है कि क्या विधायकों को दी गई कानूनी छूट उन्हें रिश्वत लेने के लिए मुकदमा चलाने से रोकता है, भले ही रिश्वत देने वाली राशि का उपयोग नहीं किया गया हो।
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Tags: Assam news, CJI, Supreme Court, Supreme court of india
FIRST PUBLISHED : September 20, 2023, 09:25 IST
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