नई दिल्ली. वीकेंड पर परिवार व दोस्तों के साथ बाहर फिल्म देखने जाने का चलन इन दिनों बेहद आम है. छोटे शहरों में भी लोग छुट्टी का भरपूर आनंद लेने के लिए रेस्त्रां में अपने सगे-संबंधियों के साथ खाना खाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. क्या कभी सोचा है कि सिनेमाघरों और रेस्त्रां में हमें रौशनी इतनी कम क्यों मिलती है. हल्की रौशनी के बीच ही हमें खाना क्यों सर्व किया जाता है. सिनेमाघरों में फिल्म देखते वक्त लाइट क्यों बंद कर दी जाती हैं. आइये हम आपको इसके पीछे की असल वजह बताते हैं. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है.
दरअसल, रिपोर्ट में अमेरिकी पत्रकार हेली विज के अनुभवों को साझा किया गया. वो अपने दोस्त के साथ डाइन-इन मूवी थियेटर अलामो ड्राफ्ट हाउस में फिल्म देखने गई थीं. उन्होंने बताया कि थियेटर में उन्होंने खाने के लिए हल्का फुल्का डिनर मंगवाया था. कुछ ही देर बाद एक बार फिर उन्हें भूख लगने लगी. वीज ने आगे कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा था कि पॉपकॉर्न या फ्राइज से काम नहीं चलेगा. अब तो भूख केवल पिज्जा और बर्गर जैसे हैवी खाने से ही मिटेगी.
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क्या कहती है रिसर्च?
इस विषय पर एक्सपर्ट बताते हैं कि हम वैसे ही खाते हैं जैसा आसपास का माहौल हमें खाने के लिए प्रोत्साहित करता है. मूवी थियेटर्स में अंधेरा किया जाता है. अंधेरे और शांत एकरूपता के चलते वहां खाने के लिए अनुकूल माहौल पैदा होता है. जिसके चलते हम ज्यादा खाने के लिए प्रेरित होते हैं. रिसर्च बताती है कि थियेटर में बहुत सारे मनोवैज्ञानिक प्रभाव हमपर पड़ते हैं. इसी कांसेप्ट पर महंगे रेस्त्रां भी काम करते हैं. रेस्त्रां में लंच या डिनर करने आए गेस्ट को हल्की रौशनी दी जाती है जो उन्हें ज्यादा खाने के लिए प्रेरित करती है.
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Tags: Hindi news, Movie theaters, Research
FIRST PUBLISHED : August 14, 2023, 11:16 IST
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