कोट्टायम. ‘भोर की भक्ति, दिन का साहस’- यह एक ऐसी दिनचर्या है, जो केरल के 34 वर्षीय पुजारी उन्नीकृष्णन वीएल के लिए बिल्कुल फिट बैठती है. जो सुबह देवी दुर्गा की आरती करने से लेकर दिन चढ़ने के साथ-साथ एक कुशल डर्ट ट्रैक राइडर तक का काम करते हैं. परंपरागत सफेद पोशाक पहने उन्नीकृष्णन का दिन सुबह ठीक 5.30 बजे शुरू होता है. तब वह कोट्टायम जिले के मंजूर गांव में पुधुक्कुलमगारा देवी मंदिर के दरवाजे खोलते हैं और देवी से आशीर्वाद चाहने वाले भक्तों का स्वागत करते हैं. अगले कुछ घंटों के लिए वह पूरे दिल से अपनी पवित्र पूजा-अर्चना के लिए खुद को भक्ति में डुबा देते हैं.
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जैसे ही सुबह के पूजा-पाठ की ये रस्में लगभग 9.30 बजे खत्म होती हैं, उन्नीकृष्णन के व्यक्तित्व में आश्चर्यजनक बदलाव आता है. वह मंदिर के एक गुप्त कोने से एक बैग निकालते हैं और पुरोहित के पवित्र काम के लिए पहने गए कपड़ों को निकाल कर एक अलग पोशाक बदलते हैं. बाइकर-पुजारी ने कहा कि ‘मैं अपने राइडिंग गियर- दस्ताने, जूते और हेलमेट को बैग से निकालता हूं, उन्हें पहनता हूं और अपनी एक्सपल्स 200 पर निकल पड़ता हूं. शुरू में भक्त और स्थानीय लोग मेरे मेक-ओवर को देखकर अचरज में पड़ जाते थे लेकिन अब उन्हें इसकी आदत हो गई है.’
अच्छी-खासी नौकरी छोड़ी
कोट्टायम के वायकोम के रहने वाले उन्नीकृष्णन का मोटरसाइकिल और रेसिंग के लिए आकर्षण 2007 में पनपा, जब उन्होंने अपना दोपहिया वाहन लाइसेंस हासिल किया. कोच्चि में एक पेशेवर स्टंट राइडिंग और रेसिंग क्लब में दाखिला लेकर उन्होंने 2011 की शुरुआत तक अपने कौशल को निखारा. कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट उन्नीकृष्णन ने आईटी फील्ड में काम किया और कोच्चि में जेरॉक्स में एक बेहतर पद हासिल किया. हालांकि उनकी नौकरी की स्थितियों ने उन्हें अपने जुनून को अस्थायी रूप से छोड़ देने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा कि ‘2010 से 2013 तक मेरे पास ऑफिस का व्यस्त कार्यक्रम और रात की पाली थी. आखिरकार मैंने नौकरी छोड़ दी और अपने दोस्त अमजेथ के साथ भारत और नेपाल की बाइक यात्रा पर निकल गया. यह एक मुक्ति दिलाने वाला फैसला था.’
पिता के निधन के बाद बने पुजारी
2019 में अपने पिता पुजारी नारायणन नंबूथिरी के अचानक निधन के बाद उन्नीकृष्णन ने खुद को अपने मंदिर की जिम्मेदारियों में पूरी तरह से डुबा दिया. जबकि उन्होंने पहले कभी-कभी आसपास के मंदिरों में पुजारी के रूप में काम किया था. उन्होंने आधिकारिक तौर पर दिसंबर 2021 में पुधुक्कुलमगारा देवी मंदिर में पुजारी का काम शुरू किया. अपने मंदिर के कर्तव्यों को प्राथमिकता देने और मोटरसाइकिल के लिए अपने प्रेम को छोड़ने के पारिवारिक दबाव के बावजूद उन्नीकृष्णन रूढ़िवादिता को तोड़ने की अपने कोशिश में दृढ़ रहे. इस साल की शुरुआत में उन्होंने मोटरसाइकिल रेसिंग के लिए फेडरेशन ऑफ मोटर स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया का लाइसेंस हासिल किया.
पेशेवर सर्किट में पहली दौड़
उन्नीकृष्णन ने कोयंबटूर में इंडियन नेशनल रैली चैम्पियनशिप में भी हिस्सा लिया और दौड़ को सफलतापूर्वक किया. उन्होंने कहा कि ‘पेशेवर सर्किट पर यह मेरी पहली दौड़ थी.’ उन्नीकृष्णन नवंबर में बेंगलुरु में होने वाली आगामी डर्ट ट्रैक रेस के लिए लगन से प्रशिक्षण ले रहे हैं. हालांकि मंदिर से होने वाली मामूली कमाई और भक्तों द्वारा चढ़ाए गए चढ़ावे पर निर्भर रहते हुए उन्हें अपनी दौड़ की आकांक्षाओं को बनाए रखने में आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि ‘मैं अपनी मोटरसाइकिल के साथ सभी बाधाओं के बावजूद सफल होने के लिए दृढ़ संकल्प हूं.’
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Tags: Hindu Temple, Kerala, Kerala News
FIRST PUBLISHED : August 14, 2023, 08:43 IST
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