भारत से जल्‍द सीमा गतिरोध खत्‍म करना चाहता है चीन? आज से शुरू हो रही है मिलिट्री कमांडरों की 19वें दौर की बात

नई दिल्‍ली. पूर्वी लद्दाख में हिंसक झड़प के बाद आज भारत और चीन की सेनाओं के बीच 19वें दौर की बातचीत शुरू होने जा रही है. दोनों देश के सीनियर मिलिट्री कमांडर भारतीय सीमा के अंतर्गत चुशुल-मोल्डो सीमा बैठक प्‍वाइंट पर मिलेंगे. भारत की कोशिश इस दौरान विवाद से जुड़े सभी स्‍थानों से चीनी सेना को पीछे जाने के लिए जोर देने पर होगी. करीब चार महीने के लंबे इंतजार के बाद भारत और चीन सेना के अधिकारियों के बीच यह बैठक होने जा रही है. आखिरी बार 23 अप्रैल को यह बैठक हुई थी.

शीर्ष सरकारी सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि चीन भी गतिरोध के समाधान पर विचार कर रहा है. अधिकारी ने कहा, ‘चीन ताइवान के साथ एक स्थिति का सामना कर रहा है और वह दो मोर्चों पर परेशानी नहीं चाहेगा. साथ ही, अमेरिका और भारत के बीच बढ़ती निकटता भी एक भूमिका निभा रही है। कुछ अन्य संकेत हैं कि चीनी पक्ष इसका समाधान निकालना चाहेगा’

साउथ अफ्रीका के जोहान्‍सबर्ग में 22 से 24 अगस्‍त के BRIC देशों की अहम बैठक होने वाली है. पीएम नरेंद्र मोदी सहित चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग भी इस मीटिंग में हिस्‍सा लेंगे. BRIC देशों की बैठक से पूर्व भारत-चीन की सेना के बीच 19वें राउंड की बैठक काफी अहम मानी जा रही है. इस बात की संभावना प्रबल है कि दोनों देश की सेनाएं कई विवादित स्‍थानों से पीछे हट सकती हैं.

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अबतक हुई 18 राउंड की बैठक के बाद सेनाएं विवाद से जुड़े कई मोर्चों से पीछे हट भी चुकी हैं. आज होने वाली ताजा वार्ता का नेतृत्‍व भारत की तरफ से लेह मुख्यालय के 14वीं कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशीम बाली कर सकते हैं. बताया जा रहा है कि चीनी सेना का नेतृत्‍व वार्ता के दौरान दक्षिण शिंजियांग सैन्य जिले के कमांडर द्वारा किया जा सकता है.

बैठक पर विदेशी मंत्री ने क्‍या कहा था? 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीती सात अगस्‍त को भारत-चीन वार्ता पर अपडेट दिया था. उन्‍होंने कहा था, ‘भारत-चीन सीमा विवाद पर चर्चा रुकी नहीं है. जल्‍द ही इसे लेकर मीटिंग होने वाली है. बीते नौ सालों में पीएम नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता वाली सरकार ने उत्‍तरी सीमा सहित बॉर्डर के क्षेत्रों में मूलभूत ढांचे (इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर) के सुधार पर काफी फोकस किया है. 2014 के बाद जब भारत की तरफ से सीमा पर बुनियादी ढांचे पर बड़ा जोर दिया गया, तो चीन की तरफ से भी प्रतिस्पर्धा में गश्त बढ़ गई है.’

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