पंजाब में पंचायतें भंग करने के मामले में 2 IAS अफसरों पर गिरी गाज, लापरवाही के आरोप में सरकार ने किया सस्पेंड

एस. सिंह

चंडीगढ़. पंजाब सरकार ने पंचायतों को भंग करने में लापरवाही बरतने के मामले में दो सीनियर आईएएस अफसरों को सस्पेंड कर दिया है. दोनों आईएएस अधिकारी, ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के डायरेक्टर गुरप्रीत सिंह खैरा और पंचायत विभाग के वित्त कमिश्नर धीरेंद्र कुमार तिवारी हैं. इस संबंध में आदेश मुख्य सचिव अनुराग वर्मा द्वारा जारी किए हैं, जिसमें कहा गया कि निलंबन अवधि के दौरान इन अधिकारियों का मुख्यालय चंडीगढ़ में होगा. उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी. तिवारी 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और खैरा 2009 बैच के. दोनों ने राज्य में पंचायतों को भंग करने के फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री  लालजीत सिंह भुल्लर ने बयान जारी कर कहा कि ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा पंचायतों को भंग करने का मामला जब मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के संज्ञान में आया तो उन्होंने तकनीकी खामियों के कारण तुरंत पंचायतों को भंग करने के आदेश के लिए पंचायती विभाग के अफसरों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए एवं पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पंचायतों को भंग करने वाला फैसला वापस ले लिया. ताकि तकनीकी खामियों को पूरा करके मतदान बिना किसी पक्षपात के हो सके.

समय पर चुनाव कराएगी सरकार
मंत्री भुल्लर ने कहा कि सरकार ने राज्य में गांवों की पंचायतों के चुनाव समय पर करवाने के लिए प्रयास शुरू किए हुए हैं. उन्होंने कहा कि मतदान के लिए वोटर सूचियों में संशोधन, वार्डबंदी और महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण आदि की प्रक्रिया काफ़ी लंबी थी. उन्होंने कहा कि राज्य में आई बाढ़ के कारण अफसरों और कर्मचारियों के लोगों की सहायता के लिए व्यस्त होने के कारण यह कार्य अपूर्ण ही रह गया था.

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पीआईएल दायर कर अधिसूचना को चुनौती दी
गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल के महासचिव गुरजीत सिंह तलवंडी ने जनहित याचिका दायर कर उस अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसके तहत राज्य की सभी ग्राम पंचायतों को उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भंग कर दिया गया था. तलवंडी ने तर्क दिया था कि पंजाब पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 29ए के तहत शक्ति का प्रयोग करके ग्राम पंचायतों को अवैध रूप से भंग कर दिया गया था.

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