नाहन. पारिवारिक जिम्मेवारियों के साथ-साथ पेशेवर दायित्वों के निर्वहन की जो मिसाल एचआरटीसी (सिरमौर) के चालक ने पेश की है, उसे सुनकर हर किसी का दिल पसीज जाएगा. गुरुवारा सुबह सवारियों से भरी एचआरटीसी की बस को लेकर जब चालक कमल ठाकुर नाहन से कुहंट के लिए चले थे तो सब कुछ रोजमर्रा की तरह सामान्य था रास्ते में घर से लगातार फोन आ रहे थे, मगर ड्राइव करते हुए फोन पर बात नहीं हो सकती थी, इसलिए ददाहु पहुंचने पर बस के ठहराव के बाद वापस घर फोन किया. फोन पर दिल को झकझोरने वाला समाचार मिला कि उनके पिता जी का निधन हो गया. इसके बाद चालक कमल ठाकुर की आंखों में आंसू थे.
बस कंडक्टर सचिन कुमार ने टैक्सी बुलाई और कमल ठाकुर को सरकारी बस वहीं छोड़कर टैक्सी से तुरंत घर जाने की बात कही, लेकिन सामने खड़ी निजी टैक्सी में बैठने से ठीक पहले अचानक कमल ने पीछे मुड़कर बस की तरफ देखा. बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और अन्य सवारियों से पूरी भरी थी. परिचालक से पूछा कि अब इस बस को गंतव्य तक कौन पहुंचाएगा. कंडक्टर ने जवाब दिया कि ये सभी सवारियां दूसरी बसों में चली जाएंगी. उधर, इस बस के लिए चालक की भी व्यवस्था नहीं हो सकी.
इस बीच कमल ने अपने आंसू पोंछे और बोला कि बस में बैठे ये सभी लोग भी किसी न मजबूरी और जरूरी काम से ही कहीं न कहीं जा रहे होंगे, इसलिए चलो. पिता जी का अंतिम संस्कार इन लोगों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने के बाद करूंगा. इस बात को सुनने के बाद परिचालक की आंखें भी नम हो गई.
कंडक्टर ने चालक कमल की तरफ़ देखकर कहा कि भाई, आपके परिवार वाले और रिश्तेदार घर में आपका इंतजार कर रहे होंगे, क्योंकि आप परिवार के इकलौते बेटे हैं, इसलिए आपका जल्दी घर पहुँचना बहुत ज़रूरी है.
कमल ने कहा कि पिता जी ने मुझे हमेशा एक बात बड़ा ज़ोर देकर कही थी कि कमल बेटा, परिस्थिति चाहे कैसी भी हो मगर कभी भी किसी मुसाफिर को आधे रास्ते में मत छोड़ना. क्योंकि ना जाने कौन मुसाफ़िर किस परेशानी और दर्द से गुजर रहा हो, ये किसको मालूम. ये सुनने के बाद कंडक्टर ने भी भीगी आंखों के साथ सीटी बजाई.
चालक कमल ठाकुर बस को ददाहु से 100 किलोमीटर दूर उसके गंतव्य तक पहुंचा कर वहीं से अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए रोनहाट स्थित अपने घर चले गए. इसी बस में सवार एक व्यक्ति बड़े गौर से चालक और परिचालक की सभी बातचीत को सुन रहा था और मन ही मन पूरे रास्ते भर ये सोच रहा था कि अगर वो चालक की जगह होता तो शायद इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाता.
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Tags: Himachal pradesh, HRTC
FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 10:41 IST
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