जिम जाते हैं… और सप्लीमेंट भी लेते हैं, कभी सोचा है कि यह आपके शरीर के साथ क्या कर सकता है! नहीं तो इसे पढ़िए

नई दिल्ली. आप जिम जाते हैं, और आपकी चाहत है कि आपका शरीर ग्रीक देवताओं जैसा हो. 6 पैक्स एब्स की चाहत लिए हुए जब आपसे आपका जिम मित्र अपने आहार में बॉडी-बिल्डिंग सप्लीमेंट जोड़ने के लिए कहता है तो आप बगैर सोचे समझे तुरंत उसका ऑर्डर दे देते हैं, सही है ना? सभी युवा यही चाहत लिए हुए धड़ाधड़ इन पाउडर और शेक का सेवन कर रहे हैं बगैर उसके नुकसान और लंबे वक्त में होने वाले दुष्परिणाम को जाने हुए. आपने भी कभी इस दिशा में नहीं सोचा होगा?

एक गठीला और सुडौल शरीर पाने की कामना इतनी तीव्र है कि लोग जिम प्रशिक्षकों पर भरोसा करते हैं और कभी भी चिकित्सा विशेषज्ञों से परामर्श नहीं लेते हैं. इसका नतीजा यह है कि डॉक्टरों के पास जिम सप्लीमेंट्स के अत्यधिक उपयोग या दुरुपयोग के दुष्प्रभावों से निपटने वाले मामलों की एक लंबी सूची है.

इस मामले से समझिए
अभिषेक सिंघल जो अब एक डेंटिस्ट हैं और निजी प्रैक्टिस करते हैं, उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में जिम जाना शुरू किया (तब वह डेंटल सर्जरी के प्रथम वर्ष के छात्र थे). सब कुछ ठीक चल रहा था, वह अपने जिम प्रशिक्षक के साथ 60 मिनट का गहन प्रशिक्षण ले रहे थे, और परिणाम भी दिख रहे थे. अभिषेक सिंघल ने कहा, “लेकिन मैं ज्यादा अधीर होने लगा मुझे और ज्यादा चाहिए था. तो बाकी लोगों की तरह मैंने भी अपने जिम प्रशिक्षक से सप्लीमेंट के बारे में पूछा. मुझे लगा कि इससे परिणाम और जल्दी मिलने लगेंगे. दिल्ली में मेरे दोस्त सप्लीमेंट ले रहे थे, और मेरे पहचान में जितने लोग थे सब इस्तेमाल कर रहे थे. तो लगा कि यह गलत तो नहीं हो सकता.”

सिंघल बताते हैं, “मैंने व्हे प्रोटीन और प्री-वर्कआउट शेक लेना शुरू कर दिया. शुरुआत के कुछ हफ्तों में, मेरा जोश उफान पर था, मैं ज्यादा देर तक कसरत कर रहा था, मुझे चोट कम लग रही थी, थकावट नहीं होती थी. मैं खुद को थोड़ा और करने के लिए प्रेरित कर रहा था. लेकिन शुरुआती जोश के बाद, मेरे मेडिकल कॉलेज में, जब हमें सिखाया जा रहा था कि ब्लड प्रेशर कैसे नापा जाता है, तो मेरा भी ब्ल्ड प्रेशर लिया गया.” उनका ब्लड प्रेशर सोच से कहीं ज्यादा (160/100)  था और वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. वह कहते हैं, “मैं कसरत कर रहा था, अच्छा खाना खा रहा था, और यहां तक कि मैं पर्याप्त मात्रा में सप्लीमेंट भी ले रहा था. मैने बगैर वक्त गंवाए दिल्ली में एक कार्डियोलॉजिस्ट (हृदयरोग विशेषज्ञ) को दिखाया, उन्होंने कुछ टेस्ट करवाने को कहा. टेस्ट में मालूम चला कि मेरा यूरिक एसिड भी ज्यादा निकला था. उन्होंने मुझे इसकी सही वजह जानने में मदद की- वजह थी- जिम सप्लीमेंट.”

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प्री-वर्कआउट शेक में उच्च मात्रा में कैफीन होता है, जिससे सतर्कता तो बढ़ती है साथ में मेटाबोलिक दर और ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है. सिंघल कहते हैं, “एक महीने तक कैफीन लेना ही गड़बड़ था. पाचन के दौरान प्रोटीन अमीनो एसिड बनाता है, जो आगे शरीर से नाइट्रोजन यौगिक जैसे यूरिया और यूरिक एसिड के रूप में बाहर निकलता है.” यूरिक एसिड कई बीमारियों की जड़ है, जैसे गठिया, जोड़ों में दर्द और आंखों की बीमारी. यहां तक कि इससे किडनी की बीमारी भी होती है. वह कहते हैं, “मेरे मामले में, मैं भाग्यशाली था, केवल प्रोटीन की अधिक मात्रा लेना ही एक वजह थी, व्हे प्रोटीन के रूप में जो मैं सप्लीमेंट ले रहा था, वक्त के साथ उससे जुड़े परिणाम सामान्य होने लगे.”

सिंघल तो भाग्यशाली थे, लेकिन क्या सभी होते हैं
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल में निदेशक (मिनिमल एक्सेस और बेरिएट्रिक सर्जरी) डॉ. मयंक मदान एक और अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि उन्हें ऐसे कुछ मरीज भी मिले हैं जिन्हें “बेपनाह खुराक” दी गई है. डॉ. मदान ने कहा, “एक मामला जो मुझे तुरंत याद आ रहा है वह एक मरीज का है जिसका बार-बार एनाबॉलिक स्टेरॉयड इंजेक्शन लेने का मामला था. विजय (बदला हुआ नाम) अक्सर, या शायद हर महीने नितंब क्षेत्र में ये इंजेक्शन लगवाता था.” इस वजह से डॉ. मदान को एक अजीब स्थिति देखने को मिली, उसके नितंबों के क्षेत्र में वसा का वितरण बुरी तरह बिगड़ा हुआ या अनियमित था. विजय के डॉक्टर ने कहा, “उसके बहुत सी गांठे थीं.” हम तकनीकी रूप से या चिकित्सकीय रूप से इसे लिपोडिस्ट्रॉफी या लिपोएट्रोफी भी कहते हैं, जिसमें एक विशेष क्षेत्र में बार-बार इंजेक्शन लगाने के कारण वसा कोशिका का वितरण असामान्य हो जाता है. कई बार ऐसा होता है कि किसी जगह वसा की हानि होने से वहां मांसपेशियों और वाहिकाओं का आकार असामान्य हो जाता है. डॉ. मदान बताते हैं कि, यह मरीज जिस स्थिति के साथ आया था वह बहुत ही असामान्य थी. कारण का पता लगाने के लिए विजय की एमआरआई स्कैन और अन्य इमेजिंग की गई लेकिन कुछ समझ नहीं आया, फिर बार-बार पूछताछ करने पर डॉक्टर को पता चला कि विजय को स्टेरॉयड इंजेक्शन दिए जा रहे थे.

डॉ. मदान के सामने ऐसे कई मरीज आते हैं जो आंत की समस्याओं से घिरे होते हैं, कई बार उन्हें कभी-कभी इन प्रोटीन सप्लीमेंट्स के कारण पुरानी कब्ज हो जाती है क्योंकि इन सप्लीमेंट्स में फाइबर नहीं होता है. जिससे रोगियों को कब्ज हो जाता है और फिर वे बवासीर, रक्तस्राव या दरारें जैसी गुदा संबंधी समस्याओं में बदल जाती है. कुछ महीने पहले, नियमित कसरत के दौरान अभिनेता सिद्धांत सूर्यवंशी की मृत्यु हो गई थी जिसने सभी को चौंका कर रख दिया था. क्योंकि वह काफी फिट थे. इसके बाद कसरत को लेकर जब सवाल उठने लगे तो, चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हृदय संबंधी मौतें ” अत्यधिक कसरत” और जिम सप्लीमेंट्स के अत्यधिक उपयोग के कारण भी हो सकती हैं.

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जिम सप्लीमेंट का बड़ा बाजार
इन सप्लीमेंट्स का बाजार कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रिसर्च कंसल्टेंसी IMARC ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय आहार सप्लीमेंट का बाजार 2022 में 43,600 करोड़ रुपये था जिसके 2028 तक 95,800 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है. रिपोर्ट बताती है कि 2023-2028 के दौरान 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर (CAGR) होगी. एक लोकप्रिय ऑनलाइन प्लेटफार्म पर तलाशने पर पाया गया कि विशेष रूप से पुरुषों के लिए “स्वास्थ्य और पोषण” श्रेणी के अंतर्गत करीब 6,900 से अधिक उत्पाद मौजूद थे. इन्हें व्हे प्रोटीन, बीसीएए (ब्रांच्ड-चेन अमीनो एसिड), मास गेनर, मल्टीविटामिन, वजन प्रबंधन और अन्य खंडों में विभाजित किया गया था.

ये उत्पाद – कसरत से पहले और बाद के लिए होते हैं – जो चॉकलेट, केसर, आम, हेजलनट और वनीला सहित कई स्वादों में मौजूद होते हैं. इनके आकार या वजन के हिसाब से अलग-अलग ब्रांडों में इनकी कीमतें 500 रुपये से 12,000 रुपये तक हो सकती हैं. ये सप्लीमेंट न्यूट्रास्यूटिकल्स की श्रेणी में आते हैं. जिसे भारत के खाद्य नियामक, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा लाइसेंस प्राप्त होता है.

जिम सप्लीमेंट्स की खपत भी बुरी तरह से अनियमित है क्योंकि इसे बेचने के लिए किसी तरह के डॉक्टर के पर्चे की ज़रूरत नहीं होती है. इसलिए इन पाउडर, गोलियों या शेक का सेवन लोग उनके खुद की सेहत के इतिहास, परिवार के चिकित्सा इतिहास, वर्तमान में उनकी सेहत की क्या स्थिति है, एलर्जी या मौजूदा दवाओं के बावजूद कर लेते हैं.

विशेषज्ञों की सलाह, खरीदें मगर सावधानी से
वरिष्ठ सलाहकार गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया कि जिम की खुराक उन लोगों द्वारा “निर्धारित” या “अनुशंसित” की जाती है जो जिम में काम करते हैं और आमतौर पर उनके पास औपचारिक हेल्थकेयर ट्रेनिंग या पोषण की जानकारी में कोई योग्यता नहीं होती है. .वह व्यंग्यात्मक लहजे में कहते हैं, “पोषण पर कुछ कक्षाओं में चले जाने से आप जानकार तो नहीं बन जाते. “केरल में हिपेटोलॉजी और लिवर ट्रांसप्लांट मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स के अनुसार, जिम सप्लीमेंट अब लिवर की चोट, लिवर फेल्योर, मौत या पश्चिमी देशों में लिवर प्रत्यारोपण में बढ़ोतरी की एक अहम वजह बनकर उभरा है.” अश्वगंधा, आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला सप्लीमेंट है.” एक बहुकेंद्रीय अध्ययन- जो अश्वगंधा से जुड़ी लिवर की चोट से जुड़ी एक लंबी शोध श्रंखला है, जिसे वर्तमान में अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ स्टडी ऑफ लीवर डिजीज की आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है, उसमें बताया गया है कि अश्वगंधा-हेपेटाइटिस की वजह बन सकता है, जिन्हें पहले से लीवर रोग है उनमें लीवर की बीमारियों को बढ़ाने और मौत का कारण हो सकता है.

फिलिप्स ने बताया कि ग्रीन टी के अर्क, हल्दी और गार्सिनिया कैंबोगिया (या मालाबार इमली) युक्त मल्टी हर्बल जिम सप्लीमेंट भी गंभीर लिवर की चोट, लिवर की विफलता और मौत का कारण बन सकते हैं. फिलिप्स का मानना ​​है कि ऐसे सप्लीमेंट्स के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वे दूसरी जरूरी दवाओं या सप्लीमेंट्स के साथ परस्पर क्रिया करते हैं और या तो महत्वपूर्ण दवाओं के असर को कम कर देते हैं या दवाओं की विषाक्तता को बढ़ा देते हैं. लखनऊ में मेदांता की इंटरनल मेडिसिन टीम की सलाहकार डॉ. साक्षी मनचंदा के सामने भी जिम सप्लीमेंट के दुरुपयोग से जुड़े कुछ मामले आए हैं, उन्होंने कहा, “यह काफी चिंताजनक है कि जिम की खुराक बेतरतीब ढंग से और बगैर उचित मार्गदर्शन के बिना निर्धारित की जा रही है.”

दुनिया में सबसे सख्त स्वास्थ्य विनियमन निकायों में से एक माने जाने वाले,  अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने नवंबर 2022 में, कहा कि, उन्हें ऐसी सैकड़ों घटनाओं की रिपोर्ट मिली हैं, जिनमें गंभीर लिवर की चोट के सबूत मौजूद थे. इसमें पाया गया कि कुछ बॉडीबिल्डिंग उत्पादों में अवैध रूप से स्टेरॉयड या स्टेरॉयड जैसे पदार्थ शामिल हो सकते हैं जो संभावित रूप से गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़े होते हैं, जिनमें लीवर की चोट भी शामिल है जो जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकती है.

इसी तरह, यूके की स्वास्थ्य एजेंसी MHRA की एक जांच में पाया गया कि 84 अवैध उत्पाद, जैसे ऊर्जा और मसल्स-गेन उत्पाद, बेचे जा रहे थे जिनमें स्टेरॉयड, उत्तेजक और हार्मोन जैसे खतरनाक तत्व शामिल थे.

कुल मिलाकर बात इतनी सी है
अपनी दिनचर्या में सप्लीमेंट को शामिल करने से पहले या आपको किसी तरह की कोई सेहत से जुड़ी तकलीफ है तो प्रमाणित पोषण विशेषज्ञ और चिकित्सक से परामर्श जरूर ले लें. इसके अलावा सप्लीमेंट में क्या शामिल किया गया है उसे जरूर सुनिश्चित कर लें. केवल प्रतिष्ठित और भरोसेमंद ब्रांड का ही इस्तेमाल करें. सप्लीमेंट्स में कभी-कभी हैवी मेटल, कीटनाशक, इफेड्रा, कैफीन और स्टेरॉयड जैसे पादप उत्पाद शामिल होते हैं. इसलिए, सप्लीमेंट तब तक नहीं लें जब तक पूरे शरीर की स्वास्थ्य जांच नहीं करा लें.
एक नियम बनाएं: अपने आहार में कुछ भी नया (जिम सप्लीमेंट सहित) शामिल करने से पहले, चिकित्सकों से बात करें, सामग्री को समझें, सलाह दी गई खुराक पर कायम रहें और अपने शरीर की सुनें.

Tags: Gym, Health, Nutritional security

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