जिंदा है इंसानियत! अपनों ने मुंह फेर लिया तो इंस्पेक्टर दंपति आए आगे, रक्तदान कर मरीज की बचाई जान

सनंदन उपाध्याय/बलिया. खुदगर्ज इस दुनिया में इंसान की यह पहचान है… जो पराई आग में जल जाये वही तो इंसान है. अपने लिये जिये तो क्या जिये… तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये. इस लाइन को आत्मसार करते हुए उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के साइबर सेल के प्रभारी संजय शुक्ल और उनकी पत्नी विनीता शुक्ला ने जिला अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती दोनों किडनी फेल सत्येंद्र यादव को रक्तदान कर इंसानियत की मिसाल पेश की है. पुलिस अधीक्षक (एसपी) एस आनंद और अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी ने इसकी सराहना की और स्वयं जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक पहुंच कर दंपत्ति की हौसलाअफजाई की.

बता दें कि, पुलिस महकमे के लिए सहायता सहयोग और सुरक्षा के स्लोगन को सत्य साबित करते हुए दंपति के इस सराहनीय कार्य की पूरे शहर में चर्चा हो रही है. पूर पकड़ी निवासी सत्येंद्र यादव के दोनों किडनी फेल होने के बाद उनकी पत्नी रीना यादव ने सोशल मीडिया पर गुहार लगाई थी कि उसके पति को खून की जरूरत है. यदि समय से नहीं मिलेगा तो उसके पति की जान भी जा सकती है.

अपने लोग भी नहीं आए काम

मरीज की पत्नी की माने तो देर रात उनके पति की तबियत ज्यादा खराब हो गई. डॉक्टरों ने दो यूनिट ब्लड लाने को कहा मगर सभी ने उन्हें खून देने से मना कर दिया. यहां तक कि उनके खून के रिश्ते भी खून देने से मना कर दिए. तब खुद पुलिस ने खून देकर उनके पति की जान बचाई. जिसके लिए वह पुलिस को धन्यवाद देते थक नहीं रही है. वही पत्नी ने रो-रो कर कहा की अपने पति की जान बचाने के लिए वह अपनी जमीन बेचकर 16 लाख रुपये लगा चुकी है.काफी पैसा कर्ज भी ले चुकी है. उनके दो बच्चे भी हैं.

सूचना मिलते ही पत्नी के साथ खून देने आए इंस्पेक्टर

साइबर सेल प्रभारी संजय शुक्ल को सूचना मिली कि एक व्यक्ति के दोनों किडनी फेल हैं. डॉक्टरों ने उन्हें तत्काल दो यूनिट ब्लड की जरूरत बताई है. तब साइबर सेल प्रभारी और उनकी पत्नी ने खून देने का मन बनाया. इसके बाद उन्होंने जिला अस्पताल पहुंच कर ब्लड बैंक में एक-एक यूनिट खून देकर मानवता का परिचय दिया.

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