Kolmanskop – diamond city turned into a ghost town: नामीबियाई रेगिस्तान के बीच में एक ‘भूतिया’ शहर कोलमन्सकोप है. यह टाउन कभी हीरों से भरा हुआ था, लेकिन अब घुटनों तक रेत में दबे जर्जर घरों से भरा हुआ है. इस शहर में एक बार सैकड़ों जर्मन खनिक कीमती पत्थरों की तलाश में आए थे, जो उन्हें अमीर बना दें. तब यह गांव हर साल 10 लाख कैरेट हीरे का प्रोड्यूस कर रहा था, जो दुनिया के कुल हीरा उत्पादन का 11.7 फीसदी था.
क्यों वीरान हो गया यह गांव?: द सन की रिपोर्ट के अनुसार- लेकिन जब 1956 में यहां हीरे खत्म हो गए, तो गांव पूरी तरह से वीरान हो गया. आने वाले सालों में रेगिस्तानी रेत घरों में घुटनों तक भर गया. कोलमन्सकोप की स्थापना 1900 के प्रारंभ में हुई थी, जब रेत पर हीरे की खोज की गई थी. आगे चल कर इस जगह को दुनिया के सबसे बड़े हीरा खनन स्थलों में से एक रूप में पहचान मिली.
यहां किसे मिला था पहला हीरा?
1908 में रेलवे वर्कर जकारियास लेवाला को पटरियों से रेत हटाते समय चमकदार रत्नों में से एक मिला था. उसने उसे अपने जर्मन बॉस ऑगस्ट स्टॉच को दिखाया. जांच में उस रत्न के हीरा होने की पुष्टि हुई. इस खबर से नामीबिया में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. कुछ ही सालों में सैकड़ों की संख्या में जर्मन लोग यहां आकर बस गए. उन्होंने यहां अपने घर बनाए.
4. Kolmanskop
Ghosts, sand & the left overs of racial capitalism pic.twitter.com/jbpq0T9jJn— sonosomatic hoes (@tschukutschuku) May 18, 2023
जर्मन लोगों ने यहां किया काफी निर्माण
कोलमन्सकोप – जल्द ही रेगिस्तान में फंसे एक जर्मन सिटी जैसा दिखने लगा. चिलचिलाती गर्मी से निपटने के लिए एक बर्फ फैक्ट्री के साथ एक अस्पताल, बॉलरूम, पॉवर स्टेशन, स्कूल, थिएटर और टाउन हॉल सभी बनाए गए थे. इस टाउन को साउथर्न हेमिस्फीयर में पहला एक्स-रे स्टेशन और अफ्रीका का पहला ट्राम मिला. 1920 के दशक तक, 300 जर्मन लोग, 40 बच्चे और 800 ओवाम्बो वर्कर्स कोलमन्सकोप में रहते थे.
Kolmanskop, a town in the Namib desert in southern Namibia, was once a rich diamond mining village. Within a 40 year span the town lived, flourished and then died. “Indoor Desert” shot by Álvaro Sánchez-Montañés: pic.twitter.com/sapatHfYCM
— Betty (@Bettyxx84) July 30, 2020
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद, जब हीरों की कीमत में गिरावट आई, तो यहां से लोग अपने घर मकान छोड़-छोड़ कर जाने लगे. इस तरह यह टाउन केवल 40 सालों के भीतर बनाया गया और छोड़ दिया गया. इसके बाद दशकों तक यहां कोई रहने के लिए नहीं आया. तब से यह पूरा शहर वीरान पड़ा हुआ है.
हर साल आते हैं हजारों पर्यटक
इस घोस्ट टाउन का इस्तेमाल 2000 की फिल्म ‘द किंग इज अलाइव’ सहित कई साउथ अफीकी टीवी सीरीज और फिल्मों में किया गया. घोस्ट टाउन टूर्स नामक एक टूर कंपनी ने इस ऐतिहासिक स्थल को मैनेज शुरू किया और 2002 में इसको पर्यटकों के लिए खोल दिया. हर साल लगभग 35 हजार पर्यटक यह देखने के लिए आते हैं कि इस भयानक स्थल पर क्या बचा है.
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FIRST PUBLISHED : September 22, 2023, 10:18 IST
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