एक ऐसा गांव जहां नहीं मनाया जाता है रक्षाबंधन का पर्व, कई पीढ़ियों से चली आ रही ये परंपरा

रविंद्र कुमार/झुंझुनूं. देश भर में भाई-बहन के अटूट प्यार का पर्व रक्षाबंधन धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. भाइयों की कलाई पर बहनों ने रक्षा सूत्र बांधा हैं. लेकिन हम आज आपको एक ऐसे गांव से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिस गांव में कई दशकों से रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जा रहा है. जी हां, झुंझुनू का सुल्ताना कस्बे के संस्थापक हाथीराम के वंशज कई दशकों से रक्षाबंधरान का पर्व नहीं मना रहे हैं. रक्षाबंधन के दिन सुल्ताना के संस्थापक हाथी सिंह के देहांत के बाद उनके वंशजों ने रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया.

कई दशकों से चली आ रही है परंपरा अब भी सुल्ताना कस्बे में कायम है. सुल्ताना कस्बे में हाथीराम के वंशजों की कलाई आज भी रक्षाबंधन के दिन सूनी ही नजर आती है. करणी सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष गोविंद सिंह सुल्ताना ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन सुल्ताना के संस्थापक हाथीराम का निधन हो जाने के कारण रक्षाबंधन नहीं मनाने की परंपरा शुरू हुई, जो अभी तक जारी है. हालांकि कुछ परिवारों में पुत्र जन्म के बाद रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि सुल्ताना के संस्थापक हाथीराम के सात पुत्र थे उनके सात पुत्रों के वंशज सुल्तान और ख्याली गांव में निवास करते हैं.

कई युद्ध में रहा योगदान
मंडल युद्ध एक राजस्थान का बहुत बड़ा युद्ध हुआ था. उसमें भी उनका योगदान रहा था. उसमें भी उनके द्वारा जीती हुई चार तोपों में से दो तोपों के अवशेष आज भी उपस्थित हैं. रक्षाबंधन के दिन उनका देहांत होने की वजह से उनकी वंशज रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाकरउनकी पुण्यतिथि के रूप में मानते हैं. रक्षाबंधन की पर्व पर उनके वंशज आज भी अपनी कलाई पर राखी नहीं बांधते हैं.

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FIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 11:43 IST

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